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11/03/2025 - 10/04/2025

युवा लेखकों को सलाह देने के लिए प्रधानमंत्री योजना

बैकग्राउंड

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने युवाओं के सशक्तिकरण और एक ऐसे शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर बल दिया है, जो युवा पाठकों और शिक्षार्थियों को भविष्य में नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए तैयार कर सके। भारत को एक 'युवा राष्ट्र' माना जाता है, क्योंकि इसकी कुल जनसंख्या का 66% हिस्सा युवा है, जिसकी क्षमता का उपयोग राष्ट्र निर्माण में किया जा सकता है। इसी संदर्भ में, युवा लेखकों की कई पीढ़ियों को मार्गदर्शन देने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय योजना लागू की गई, जो रचनात्मक दुनिया के भविष्य के नेताओं की नींव रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है। इसमें पहली मेंटरशिप योजना 31 मई 2021 को शुरू की गई थी, जिसका विषय भारत का राष्ट्रीय आंदोलन था। इस योजना में गुमनाम नायकों पर विशेष ध्यान दिया गया, साथ ही स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े अल्पज्ञात तथ्यों, राष्ट्रीय आंदोलन में विभिन्न स्थानों की भूमिका और इसके राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व वैज्ञानिक पहलुओं से जुड़े नए दृष्टिकोणों को प्रस्तुत करने वाली प्रविष्टियों को प्रोत्साहित किया गया। यह पहल 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत भारत के स्वतंत्रता संग्राम की विरासत को उजागर करने का एक प्रयास था।.

इस योजना की अवधारणा इस विचार पर आधारित है कि इक्कीसवीं सदी में भारत को युवा लेखकों की एक ऐसी पीढ़ी तैयार करने की आवश्यकता है, जो भारतीय साहित्य और वैश्विक दृष्टिकोण के प्रतिनिधि बन सकें। यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है और हमारे पास समृद्ध स्वदेशी साहित्य की एक विशाल विरासत मौजूद है। ऐसे में, भारत को इस साहित्य को वैश्विक मंच पर प्रभावी रूप से प्रस्तुत करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।

प्रधानमंत्री-युवा 3.0 का परिचय

22 भारतीय भाषाओं और अंग्रेज़ी में युवा और नवोदित लेखकों की व्यापक भागीदारी के चलते PM-YUVA योजना के पहले और दूसरे संस्करण ने महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। इसी को ध्यान में रखते हुए, PM-YUVA 3.0 को 11 मार्च 2025 को लॉन्च किया जा रहा है।.

टाइमलाइन

अखिल भारतीय प्रतियोगिता की अवधि

11 मार्च - 10 अप्रैल 2025

प्रस्तावों का मूल्यांकन

12 अप्रैल - 12 मई 2025

राष्ट्रीय ज्यूरी की बैठक

20 मई 2025

परिणामों की घोषणा

31 मई 2025

मेंटरशिप की अवधि

1 जून - 1 नवंबर 2025

नेशनल कैंप

नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2026 (10 से 18 जनवरी 2026)

पुस्तकों के पहले सेट का प्रकाशन

31 मार्च 2026 तक

थीम्स

प्रधानमंत्री-युवा 3 के थीम इस प्रकार हैंः
1) राष्ट्र निर्माण में भारतीय प्रवासियों का योगदान;
2) भारतीय ज्ञान प्रणाली; और
3) आधुनिक भारत के निर्माता (1950-2025)।

यह योजना लेखकों की एक ऐसी धारा विकसित करने में सहायक होगी, जो भारत के अतीत, वर्तमान और भविष्य से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर लिख सकें। साथ ही, यह योजना महत्वाकांक्षी युवाओं को अपनी अभिव्यक्ति को सशक्त बनाने का अवसर प्रदान करेगी और उन्हें प्राचीन एवं आधुनिक काल में विभिन्न क्षेत्रों में भारतीयों के योगदान को व्यापक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने में सक्षम बनाएगी।

थीम 1: राष्ट्र निर्माण में भारतीय प्रवासियों का योगदान

प्रवासी समुदाय उन लोगों के समूह को संदर्भित करता है जो अपनी मातृभूमि छोड़कर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बस जाते हैं। विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, भारतीय प्रवासी समुदाय की जनसंख्या 35 मिलियन से अधिक है, जिसमें लगभग 200 देशों में बसे अप्रवासी भारतीय (NRI) और भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) शामिल हैं। यह भारत को दुनिया के सबसे बड़े प्रवासी समुदायों में से एक बनाता है।

ऐसा माना जाता है कि भारतीय प्रवास का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है, जिसकी शुरुआत कनिष्क के शासनकाल (पहली शताब्दी ईस्वी पूर्व) से हुए है। उस समय यूरोप में बसने वाले भारतीय प्रवासियों को जिप्सी के नाम से जाना जाता था। भारतीयों के दक्षिणपूर्व एशिया में जाने के प्रमाण अशोक, समुद्रगुप्त और अन्य शासकों के काल में भी मिलते हैं। 16 वीं शताब्दी के मध्य में, भारत के बहुत से लोग व्यापार के उद्देश्य से मध्य एशियाई और अरबी देशों में चले गए थे। बाद में, जब भारत में ब्रिटिश, फ्रेंच और डच जैसी औपनिवेशिक शक्तियां आईं, तो उन्होंने फिजी, गुयाना, मॉरीशस, सूरीनाम और त्रिनिदाद जैसे देशों में गिरमिटिया मज़दूरों को अपनी कॉलोनियों में भेजना शुरू किया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, कुशल भारतीय श्रमिक विकसित देशों की ओर प्रवास करने लगे। नवीनतम प्रवासन यानी माइग्रेशन के चरण में, अनुबंधित श्रमिकों और कुशल पेशेवरों का माइग्रेशन खाड़ी देशों, यूरोप, कनाडा और अमेरिका की ओर हुआ है।

भारतीय अपनी सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखते हुए और अपने मूल्यों और विश्वासों को बनाए रखते हुए इन देशों में सफलतापूर्वक बस गए हैं। प्रवासी भारतीयों ने राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। भारतीय मूल के बहुत से लोग तरक्की कर चुके हैं और अपने अपनाएं हुए देशों में अलग-अलग क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पदों पर हैं। प्रवासी भारतीय शांतिपूर्ण एकीकरण के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्रों में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं।

राष्ट्र निर्माण में भारतीय प्रवासियों के योगदान विषय पर पुस्तक प्रस्तावों के लिए सुझाए गए उप-विषय

थीम 2: भारतीय ज्ञान प्रणाली

भारत में गणित, दर्शनशास्त्र, कला, संस्कृति, वास्तुकला, खगोल विज्ञान आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विशाल ज्ञान का एक समृद्ध भंडार है। हजारों सालों से संचित यह प्रचुर ज्ञान अनुभव, अवलोकन, प्रयोग और कठोर विश्लेषण से विकसित हुआ है। इसे मौखिक, शाब्दिक और कलात्मक परंपराओं के रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाया गया है।

भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) में भारत - जनन, विज्ञान और जीवन दर्शनके बारे में सब कुछ शामिल है। इससे हमें अलग-अलग क्षेत्रों में दुनिया में भारत के उल्लेखनीय योगदान को समझने में मदद मिलती है। ज़ीरो, डेसीमल सिस्टम, ज़िंक स्मेल्टिंग आदि के आविष्कार ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में विकास का मार्ग प्रशस्त किया। इसी तरह, चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के नवाचार जैसे प्लास्टिक सर्जरी और आयुर्वेद; योग, वेदों और उपनिषद में निहित दर्शनशास्त्र उस समय भारत की प्रगति को दर्शाते हैं।

भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) हमें ऐतिहासिक ज्ञान के महत्व का विश्लेषण करने और उन नए अवसरों की पहचान करने में सहायता करती है, जिनसे यह राष्ट्र के कल्याण और विकास के लिए नए ज्ञान का निर्माण कर सकती है। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में IKS की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह स्वदेशी ज्ञान की गहराई को समझने और उसकी सराहना करने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।

भारतीय ज्ञान प्रणाली विषय पर पुस्तक प्रस्तावों के लिए सुझाए गए उप-विषय

थीम 3: आधुनिक भारत के निर्माता (1950-2025)

1947 में भारत की आज़ादी कई महत्वपूर्ण चुनौतियों के साथ आई, जिनमें गरीबी, अशिक्षा, सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याएं, विस्थापित आबादी और खाद्य संकट जैसी गंभीर बाधाएं शामिल थीं। राष्ट्र निर्माताओं के सामने भारत को आत्मनिर्भर और प्रगतिशील लोकतंत्र में परिवर्तित करने की कठिन जिम्मेदारी थी। राजनीतिक नेताओं ने प्रगतिशील संविधान और दूरदर्शी नीतियों के माध्यम से लोकतांत्रिक शासन, सामाजिक समानता और न्याय की मज़बूत नींव रखी, जिससे देश को एक सशक्त भविष्य की ओर अग्रसर किया जा सके।

सभी क्षेत्रों के दूरदर्शी नेताओं ने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। शिक्षा के अग्रदूतों ने IIT और IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की स्थापना की, जबकि वैज्ञानिकों ने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु ऊर्जा और दूरसंचार के क्षेत्र में आगे बढ़ाया। आर्थिक सुधारकों ने औद्योगिकीकरण, कृषि उत्पादकता और इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को गति दी, जिसका उदाहरण बड़े बांधों और बिजली परियोजनाओं से देखा जा सकता है, जिन्होंने भारत की आत्मनिर्भरता और प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कला और संस्कृति के क्षेत्र में, रचनाकारों ने भारत की समृद्ध विरासत को संरक्षित रखते हुए उसे वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित किया। वहीं, समाज सुधारकों ने वांछित वर्ग पर मौजूद समुदायों के सशक्तिकरण और समानता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए।

समकालीन भारत में, तेज़ी से होती तकनीकी प्रगति, आर्थिक विकास और सामाजिक उत्थान के माध्यम से राष्ट्र-निर्माताओं की विरासत लगातार विकसित हो रही है। डिजिटल नवाचार, अंतरिक्ष अनुसंधान और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरा है। आर्थिक उदारीकरण और उद्यमिता ने एक समृद्ध स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा दिया है, जबकि इन्फ्रास्ट्रक्चर के विस्तार ने शहरी और ग्रामीण परिदृश्यों में व्यापक परिवर्तन किया है। साथ ही, सामाजिक समावेशन, लैंगिक समानता और पर्यावरणीय स्थिरता को मजबूत करने के प्रयास देश की प्रगति के केंद्र में हैं। परंपरा और आधुनिकता के संतुलन के साथ, भारत एक जीवंत, लोकतांत्रिक और दूरदर्शी समाज के रूप में अपने भविष्य को आकार दे रहा है।

सामूहिक रूप से, आधुनिक भारत के इन निर्माताओं ने एक गतिशील और लचीला राष्ट्र बनाया है, जो विश्व मंच पर नवाचार, समावेशिता और समृद्धि के लिए निरंतर प्रयास करता रहेगा।

आधुनिक भारत के निर्माता (1950-2025) विषय पर पुस्तक प्रस्तावों के लिए सुझाए गए उप-विषय

प्रत्येक थीम के लिए बताई गई उप-थीम सिर्फ़ संकेत देने वाली होती हैं और प्रतियोगी इस योजना के दस्तावेज़ में दिए गए फ़्रेमवर्क के अनुसार अपने विषयों को तैयार करने के लिए स्वतंत्र हैं।

प्रस्ताव

युवा लेखकों को मार्गदर्शन देने की यह पहल ग्लोबल सिटिजन के लिए प्रधानमंत्री के विज़न के अनुरूप है। इसे 30 वर्ष तक के युवा और उभरते लेखकों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से शुरू किया जाना चाहिए, ताकि देश में पठन, लेखन और पुस्तकों की संस्कृति को बढ़ावा मिल सके। साथ ही, यह पहल भारत और भारतीय लेखन को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित करने में सहायक होगी।

प्रतियोगियों को 10,000 शब्दों का एक पुस्तक प्रस्ताव जमा करने के लिए कहा जाएगा।इसलिए, निम्नलिखित के अनुसार विभाजनः

1

सारांश

2000-3000 शब्द

2

अध्याय अनुसार

हां

3

दो-तीन नमूना अध्याय

7000-8000 शब्द

4

संदर्भ सूची और संदर्भ

हां

कार्यान्वयन और निष्पादन

कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ( शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकारके BP प्रभाग के अधीन) मार्गदर्शन के सुपरिभाषित चरणों के अंतर्गत योजना का चरणबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगा।

युवा अधिकारियों की चयन प्रक्रिया

दिशा-निर्देश

मेंटरशिप अनुसूची छह महीने

स्कॉलरशिप का संवितरण

योजना का परिणाम

यह योजना भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी में लेखकों के एक समूह का निर्माण सुनिश्चित करेगी जो खुद को अभिव्यक्त करने और भारत को किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर पेश करने के लिए तैयार हैं, साथ ही इससे भारतीय संस्कृति और साहित्य को विश्व स्तर पर पेश करने में मदद मिलेगी।

यह योजना पढ़ने और लेखन को अन्य करियर विकल्पों के बराबर एक लोकप्रिय पेशे के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी, जिससे भारत के युवा पठन और ज्ञान को अपने विकास के वर्षों का अभिन्न हिस्सा बना सकें। इसके अतिरिक्त, महामारी के मानसिक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, यह योजना युवा दिमागों को एक सकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रोत्साहन प्रदान करेगी, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य मजबूत होगा और वे अधिक सृजनात्मक और आत्मविश्वासी बन सकेंगे।

भारत, जो दुनिया में किताबों का तीसरा सबसे बड़ा प्रकाशक है, इस योजना के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पाठकों के लिए लिखने वाले लेखकों की एक नई पीढ़ी को तैयार करेगा। इससे भारतीय प्रकाशन उद्योग को नया आयाम मिलेगा और इसे वैश्विक स्तर पर और अधिक सशक्त बनाया जाएगा।

यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री के ग्लोबल सिटिजन के विजन के अनुरूप होगा एक भारत, श्रेष्ठ भारत को बढ़ावा मिलेगा। तथा भारत को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न-1: प्रधानमंत्री -युवा 3.0 की थीम क्या है?
उत्तरः योजना की तीन अलग-अलग थीम हैंः

  1. राष्ट्र निर्माण में भारतीय प्रवासियों का योगदान
  2. भारतीय ज्ञान प्रणाली
  3. आधुनिक भारत के निर्माता (1950-2025)

बेहतर ढंग से समझने के लिए आप वेबसाइट देख सकते हैं।

प्रश्न-2: प्रतियोगिता की अवधि क्या है?
उत्तरः प्रतियोगिता की अवधि 11 मार्च 10 अप्रैल 2025 है।

प्रश्न-3: सबमिशन कब तक स्वीकार किए जाएंगे?उत्तर : सबमिशन 10 अप्रैल 2025 11:59 PM तक तक स्वीकार किए जाएंगे.

प्रश्न-4: प्रविष्टियों की प्राप्ति स्वीकार करने में निर्णायक कारक क्या होगा: हार्ड कॉपी या सॉफ्ट कॉपी प्राप्त करने की तिथि?
उत्तरः टाइप किए गए फ़ॉर्मेट में प्राप्त सॉफ्ट कॉपियां समय सीमा का एकमात्र निर्णायक कारक होंगी।

प्रश्न-5: क्या मैं किसी भी भारतीय भाषा में लिख सकता/सकती हूँ?
उत्तरः हां, आप अंग्रेजी में और भारत के संविधान की 8वीं अनुसूची में सूचीबद्ध निम्नलिखित में से किसी भी भाषा में लिख सकते हैंः
(1) असमिया, (2) बंगाली, (3) बोडो (4) डोगरा (5) गुजराती, (6) हिंदी, (7) कन्नड़, (8) कश्मीरी, (9) कोंकणी, (10) मलयालम, (11) मणिपुरी, (12) मराठी, (13) मैथिली (14) नेपाली, (15) उड़िया, (16) पंजाबी, (17) संस्कृत, (18) सिंधी, (19) संताली (20) तमिल, (21) तेलुगु, और (22) उर्दू

प्रश्न-6: 30 वर्ष की अधिकतम आयु कैसे तय की जाएगी?
उत्तरः 11 मार्च 2025 को आपकी आयु ठीक 30 वर्ष या उससे कम होनी चाहिए। 11 मार्च 2025 को लॉन्च किया जा रहा है।.

प्रश्न-7: क्या विदेशी नागरिक प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं?
उत्तरः प्रतियोगिता में केवल भारतीय नागरिक ही भाग ले सकते हैं, जिनमें पीआईओ या एनआरआई भी शामिल हैं, जिनके पास भारतीय पासपोर्ट है।

प्रश्न-8: मैं एक पीआईओ/एनआरआई हूँ जिसके पास भारतीय पासपोर्ट है, क्या मुझे दस्तावेज़ अटैच करने होंगे?
उत्तरः हां, कृपया अपनी प्रविष्टि के साथ अपने पासपोर्ट/पीआईओ कार्ड की एक कॉपी अटैच करें।

प्रश्न-9: मुझे अपनी प्रविष्टि कहाँ भेजनी चाहिए?
उत्तरः प्रविष्टि केवल माईगव के जरिए भेजी जा सकती है।

प्रश्न-10: क्या मैं एक से अधिक प्रविष्टियाँ जमा कर सकता/सकती हूँ?
उत्तरः प्रति प्रतियोगी केवल एक प्रविष्टि जमा करने की अनुमति है।

प्रश्न-11: प्रविष्टि की संरचना कैसी होनी चाहिए?
उत्तरः इसमें निम्नलिखित प्रारूप के अनुसार अधिकतम शब्द सीमा 10,000 के साथ एक अध्याय योजना, सारांश और दो-तीन नमूना अध्याय होने चाहिए:

1

सारांश

2000-3000 शब्द

2

अध्याय अनुसार

 

3

दो-तीन नमूना अध्याय

7000-8000 शब्द

4

संदर्भ सूची और संदर्भ

 

प्रश्न-12: क्या मैं 10,000 से अधिक शब्द सबमिट कर सकता/सकती हूँ?
उत्तरः अधिकतम 10,000 शब्दों की शब्द सीमा का पालन किया जाना चाहिए।

प्रश्न-13: मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरी प्रविष्टि रजिस्टर हो गई है?
उत्तरः आपको एक स्वचालित पावती वाला ईमेल मिलेगा।

प्रश्न-14: मैं अपनी प्रविष्टि किसी भारतीय भाषा में सबमिट करूंगा, क्या मुझे इसका अंग्रेजी अनुवाद अटैच करना चाहिए?
उत्तरः नहीं। कृपया अपनी प्रविष्टि के 200 शब्दों का सार अंग्रेज़ी या हिंदी में दें।

प्रश्न-15: क्या प्रविष्टि सबमिट करने के लिए कोई न्यूनतम आयु है?
उत्तरः कोई न्यूनतम आयु निर्धारित नहीं की गई है।

प्रश्न-16: क्या मैं हाथ से लिखी पांडुलिपि भेज सकता/सकती हूँ?
उत्तरः नहीं। इसे निर्दिष्ट प्रारूप के अनुसार अच्छे से टाइप किया जाना चाहिए।

प्रश्न-17: प्रविष्टि की शैली क्या है?
उत्तरः केवल नॉन-फिक्शन।

प्रश्न-18: क्या कविता और कल्पना को स्वीकार किया जाएगा?
उत्तरः नहीं, कविता और कल्पना को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

प्रश्न19: यदि पांडुलिपि में ऐसी जानकारी है जो किसी बाहरी स्रोत से उद्धृत की गई है, तो इसका उल्लेख कैसे और कहाँ करने की आवश्यकता है/मैं संदर्भ के स्रोत को कैसे उद्धृत करूं?
उत्तरः यदि किसी गैर-काल्पनिक पांडुलिपि में किसी बाहरी स्रोत से मिली जानकारी शामिल की गई है, तो यदि आवश्यक हो, तो स्रोत का उल्लेख फुटनोट/एंडनोट के रूप में या समेकित कार्य उद्धृत अनुभाग में किया जाना चाहिए।

प्रश्न-20: क्या मैं यूनिकोड में अपनी भारतीय भाषा की प्रविष्टि सबमिट कर सकता/सकती हूँ?
उत्तरः हाँ, इसे यूनिकोड में भेजा जा सकता है।

क्यू-21: सबमिशन का फॉर्मेट क्या होना चाहिए?
उत्तरः

क्र.सं भाषा फ़ॉन्ट स्टाइल फ़ॉन्ट्स का साइज़

1

अंग्रेज़ी

विवरण लिखने के लिए फॉन्ट टाइप — टाइम्स न्यू रोमन

14

2

हिंदी

यूनिकोड/कृति देव

14

3

अन्य भाषाएँ

समानार्थी फ़ॉन्ट

समानार्थी साइज़

प्रश्‍न 22: क्या एक साथ सबमिशन की अनुमति है/क्या मैं किसी अन्य प्रतियोगिता/पत्रिका/मैगजीन आदि में प्रस्तुत प्रस्ताव भेज सकता हूँ?
उत्तरः नहीं, एक साथ सबमिशन की अनुमति नहीं है।

प्रश्न-23: पहले ही सबमिट की जा चुकी किसी प्रविष्टि/पांडुलिपि को एडिट/एक्सचेंज करने की प्रक्रिया क्या है?
उत्तरः एक बार प्रविष्टि सबमिट हो जाने के बाद, इसे एडिट या वापस नहीं लिया जा सकता है।

प्रश्न-24: क्या सबमिशन में टेक्स्ट का समर्थन करने के लिए तस्वीर/चित्र भी हो सकते हैं?
उत्तरः हाँ, अगर आपके पास इसके लिए कॉपीराइट है, तो टेक्स्ट को तस्वीरों या चित्रों के साथ समर्थन दिया जा सकता है।

प्रश्न-25: अगर मैं युवा 1.0 और युवा 2.0 का हिस्सा रहा हूं, तो क्या मैं इसमें भाग ले सकता हूं?
उत्तरः हाँ, लेकिन सिर्फ़ तभी जब आपको प्रधानमंत्री-युवा 1.0 और प्रधानमंत्री-युवा 2.0 के चुनिंदा लेखकों की अंतिम सूची में जगह नहीं मिली है।

प्रश्न-26: क्या अंतिम 50 में योग्यता का कोई क्रम होगा?
उत्तरः नहीं, सभी 50 विजेता बिना किसी योग्यता के बराबर होंगे।